आज एक शख्स दूर से ही सलाम कर गया
अपनी चाहतो का हमे गुलाम कर गया..
अपनी ज़न्दगी गिरवी रख कर ख़रीदा था जिसे ...
आज वो शख्स ही हमे नीलाम कर गया
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इथे पोस्ट केलेले सगले साहित्य माझ्या मनाला भावलेले आहे.. ते माझ्या मनाच्या खुप जवळ आहे... किंवा अस म्हानाना की तुम्ही माझ्या मनालाच भेट देता आहात...
1 comment:
आपकी कविताए दिल मे छा गई
बगैर रखीर खिचे तसविर बना गई
आपका प्रोफाईल पढा. आँरकूट पर.
आनंद हुआ
लगा के है कोई अपने जैसा
सपने सजाने वाला
डूबते हुए सुरज में
चांद खोजने वाला
दोस्त बनना चाहता हुँ,
अगर ईज़ाजत हो तो.
दीपक ल. वाईकर
http://www.orkut.com/Main#Profile.aspx?uid=3554764783404687937&rl=t
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